महाशिवरात्रि - Mahashivratri, hindi short story by Mithilesh Anbhigya

मैं सरसों तेल चुपड़कर कॉलेज नहीं जाउंगी!
छोटी बहन जब बदतमीजी पर उतारू हो गयी तो बड़ी बहन चुप हो गयी.
रजनी पर उसके पापा बहुत विश्वास करते थे और चूँकि सरकारी काम से उनका ट्रांसफर होता रहता था, तो उन्होंने अपने दूसरों बच्चों की जिम्मेवारी उसी पर डाल दी थी. गाँव से दूर शहर में किराए का कमरा लेकर चार बहनें रहती थीं. दुसरे नंबर की रानी का स्वभाव थोड़ा उग्र था. उसे अनुशासन में रहना पसंद नहीं था और कॉलेज में जाने के बाद तो उसकी दोस्ती स्वच्छंद लड़कियों से हो गयी थी. घूमना, फिरना, बॉयफ्रेंड .... इत्यादि की तरफ उसका झुकाव होने लगा था.
कोई अनहोनी न हो जाए, आज कल के ज़माने में इसलिए रजनी उसे समझने की कोशिश करती रही, अपने मध्यम वर्ग के परिवार की इज्जत की दुहाई देती रही...
पर बात बिगड़ती ही चली गयी.
रजनी ने सोचा कि उन दोनों में तनाव के कारण राखी और रिया पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है तो उसने अपने पापा से बात की. उसके पापा ने रानी को समझाने की कोशिश की, लेकिन इसे अपनी तौहीन मानकर रानी और उग्र हो गयी. अब तो आये दिन उन दोनों के बीच विवाद होने लगे.
बहनों की लड़ाई भला कौन समझता और समझ भी ले तो क्या करता भला !
खैर, बड़ी बहन की मास्टर डिग्री कम्प्लीट हुई और उसकी शादी तय हो गयी.
घर में सब लोग बड़े खुश थे और रजनी ने भी तुरंत सहमति दे दी.
शादी के बाद भी रानी के मन से तनाव दूर नहीं हुआ, हालाँकि रजनी ने इस बात की बहुत कोशिश की.
बीच में रानी के कॉलेज से एकाध शिकायतें भी आयीं. उसके पापा भी उसके व्यवहार से क्षुब्ध हो जाया करते थे. पढाई के नाम पर, फॉर्म भरने के नाम पर घूमने-फिरने का सिलसिला चलता रहा. पर तमाम कोशिशों के बाद भी नतीजा शुन्य ही रहा.
इस बीच रजनी की तबियत अपनी ससुराल में काफी खराब हो गयी.
संयोग ऐसा बना कि रानी को रजनी की ससुराल जाना पड़ा.
बीमारी में दोनों बहनों के बीच तनाव कुछ दूर हुआ, पर जाने क्यों अनहोनी की आशंका रजनी के मन में बनी रही...
रजनी के देवर की ओर रानी आकर्षित हो गयी.
रजनी ने अपना माथा पकड़ लिया, जिस अनहोनी से वह शादी के पहले लगातार भागती रही, वह अब शादी के बाद... ...
दोनों घरों में जमकर हंगामा हुआ, पर रानी तो रानी थी. सबकी इच्छा के खिलाफ वह अड़ी रही. आत्महत्या की धमकी के बाद घरवालों को झुकना पड़ा.
कुछ दिनों बाद
महाशिवरात्रि का पर्व था.
रजनी पूरे जोर शोर से भगवान शिव की पूजा की तैयारी करने लगी.
इस बार उसे अपने जीवन भर की खुशियों को बचाना था, अनहोनी 'कलह' से ... !!

-मिथिलेश 'अनभिज्ञ'

Mahashivratri, hindi short story by Mithilesh Anbhigya

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