उन्हें बारम्बार प्रणाम... hindi poem on wife, kavita

पत्नी, प्रिये, अर्धांगिनी
और धर्मपत्नी
सदृश अगणित नाम


जीवन संतुलन, उत्थान
और सृष्टि की कथा
रचना उनका काम


सुख दुःख, संयोग वियोग
और रुचि अरूचि में
चलती हैं अविराम


बंध, प्रबंध, सम्बन्ध
और समर्पण भी
पाते उनसे पहचान


दिन रात, सुबह शाम
और हर क्षण में
उन्हें बारम्बार प्रणाम


- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
(प्रिय पत्नी के जन्मदिवस पर रचित दो पंक्तियाँ)

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