ना बुरा कोई है हर 'सदी' के लिए - Poem on Holi, Tyohar, Family, Friends in Hindi.

होली आयी इस बार कुछ खास
दिया मिलन का अनूठा 'अहसास'
झिझकते थे जिन्हें गले लगाने में
दिखे उनके वही कोमल 'जज्बात'


वो हमसे जाने कब से रूठे बैठे थे
अकड़ में हम भी तनकर 'ऐंठे' थे
गुजरे कैसे 'बिखरे' वो पल न पूछो
डाली से टूटे पत्ते हों, अहसास वैसे थे


बढ़ने लगी हद से जब उलझनेंMore-books-click-here
नीर भरकर आँखें लगी तड़पने
छोड़ कर तब बढे हाथ 'यादें' बुरीं
'होली' ने दूर कर दी वह अड़चनें


सच कहूँ, तो त्यौहार हैं इसलिए
पास आएं, करें दूर शिकवे गिले
'अनभिज्ञ' कहें साफ़ मन से यही
ना बुरा कोई है हर 'सदी' के लिए


- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'


Poem on Holi, Tyohar, Family, Friends in Hindi by Mithilesh.

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